Friday, May 27, 2011

दुखों को भूलकर मुस्कुराना सीख ले - Dr. Anwer Jamal

ईशा अग्रवाल  

ओ बहना,
बड़े नाज़ुक हैं हालात तेरे
जायज़ हैं पर सवालात तेरे
तन्हाई में घुटती है क्यों
जवानी के हैं दिन-रात तेरे
बाहर निकल और घूम फिर
ताज़ा हो जाएंगे जज़्बात तेरे
दुखों को भूलकर मुस्कुराना सीख ले
दूर हो जाएंगे सारे सदमात तेरे


बहुत अच्छे जज़्बात।
हमारे ब्लॉग पर भी तो आइये आप कभी।
आपकी इंतज़ार में
अनवर जमाल



http://tobeabigblogger.blogspot.com/2011/05/blog-post.हटमल
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ना जाने ये कैसे हालात हैं मेरे?
ज़िन्दगी से कई अनसुलझे सवालात है मेरे?
कोई नहीं है पास,
तनहा मैं और खयालात हैं मेरे,
मीलो वीरानी छाई हैं,
ना चाहते हुए भी याद किसी की आई हैं,
कह दो इन यादो से सताए ना मुझको,
बे-मतलब रुलाये ना मुझको,
रुमाल अब आंसुओं को सोखता नहीं,
कोई किसी के आंसू पोछता नहीं,
इतना अकेला कभी अपने को पाया ना था,
दूर मुझसे कभी मेरा साया ना था,
ना जाने ये कैसे हालात हैं मेरे?
ज़िन्दगी से कई अनसुलझे सवालात है मेरे?