Saturday, March 5, 2011

चोर चोरी से जाए लेकिन ब्लॉगर ब्लॉगरी से न जाए - Anwer Jamal

@ भाई खुशदीप सहगल जी ! आज हमारी पत्नी जी ने हमारी ड्यूटी बच्चों को मैथ की तैयारी के लिए लगा दी है सो अपने आँगन की धूप में लेटे हए हम अपने बच्चों को पढ़ा रहे हैं और कहते हैं न कि चोर चोरी से जाए लेकिन ब्लॉगर ब्लॉगरी से न जाए।
हमने मैडम की आँख बचाकर आपकी पोस्ट क्या पढ़ी कि हँसते हँसते हमारे तो पेट में बल ही पड़ गए और हमारे क़हक़हे बेअख़्तियार जो बुलंद हुए तो हमारी बीवी ने हमें ब्लॉगरी करते रंगे हाथों पकड़ लिया ।
खैर , आपकी मौजूदगी चाहे आटे में नमक की मानिंद ही सही लेकिन मज़ेदार है । दूसरे ब्लॉगर्स आटा हैं तो आप जैसे लोग नमक हैं । आटा भी ज़रूरी है और नमक भी । कचरा मेरी नज़र में कोई भी नहीं है जैसा कि कुछ तथाकथित बड़ेनुमा बेकार चिंता व्यक्त करते हुए कहते रहते हैं।
और हाँ , कोई नाम आपको सुझाई न दे तो आप मेरा नाम जादू को सजेस्ट कर दीजिएगा । आपका और ब्लॉगर्स का , दोनों का पीछा छूट जाएगा । आपका जादू से और ब्लॉगर्स का मुझसे , क्यों ?
और फिर जादू मुझसे पनाह माँगता फिरेगा ।
:)
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भाई खुशदीप सहगल जी ने बिना चंडूख़ाने जाए ही चंडू चौकड़ी ब्लॉगर्स की मनोदशा को बेहतरीन तरीक़े से उजागर कर दिया है । उनकी इस बेहतरीन पोस्ट पर आप मेरा यह कमेँट देख सकते हैं।
http://www.deshnama.com/2011/03/aubc.html