Friday, February 11, 2011

नैतिक मूल्यों के पालन के लिए आज की नारी को किस प्राचीन भारतीय नारी का अनुकरण करना चाहिए और क्यों ? The Real role model for Indian women

‘आज की नारी को किस प्राचीन भारतीय नारी का अनुकरण करना चाहिए और क्यों ?‘
आज समाज में अश्लीलता बढ़ती ही जा रही है। उसे करने वाले कोई और नहीं हैं बल्कि हम खुद ही हैं। ग़नीमत यह है कि अभी भी हरेक समुदाय की महिलाओं और लड़कियों की बड़ी तादाद पारिवारिक मूल्यों और नैतिकता के परंपरागत चलन में विश्वास रखती हैं लेकिन इसके बावजूद एक बड़ी तादाद उन लड़कियों की भी हमारे दरमियान मौजूद है जो अपने बदन के किसी भी हिस्से की नुमाईश बेहिचक कर रही हैं। उनमें से कुछ मजबूरन ऐसा कर रही हो सकती हैं लेकिन यह भी हक़ीक़त है कि बहुत सी लड़कियां नैतिकता के परंपरागत विश्वास को गंवा चुकी हैं। जो लड़कियां मजबूरी में यह सब करती हैं वे अपने हालात बदलते ही खुद को संभाल लेती हैं लेकिन जिन लड़कियों को अपने बदन की नुमाईश में और उसे दूसरों को सौंपने में कोई बुराई नज़र नहीं आती, उन्हें उस गंदी दलदल से निकालना आसान नहीं होता। इसके लिए उनके मन में नैतिकता के प्रति विश्वास बहाल करना पड़ता है, उसे किसी आदर्श नारी के अनुकरण की प्रेरणा देनी पड़ती है और उस पर यह सिद्ध करना होता है कि जिस मार्ग पर वह चल रही है, उसका अंजाम उसके लिए नुक्सानदेह है और नैतिक मूल्यों के पालन में अगर उसे रूपये और शोहरत का नुक्सान भी होता है, तब भी उसका अंजाम उसके लिए बेहतर होगा। ऐसे में उसे किस प्राचीन भारतीय नारी के आदर्श का अनुकरण करने की प्रेरणा दी जाए ?
यह एक सवाल है जो कि इस पोस्ट पर आज ज़ेरे बहस है। जब मुद्दा उठाया गया है तो फिर इस समस्या के निराकरण के लिए इस सबसे ज़रूरी सवाल का जवाब दिया जाना भी निहायत ज़रूरी है। यह कोई आरोप-प्रत्यारोप मात्र नहीं है। ब्लागिंग का उद्देश्य समाज में स्वस्थ बदलाव लाना होना चाहिए न कि यथास्थितिवाद को क़ायम रखने का प्रयास करना।

@ भाई श्याम गुप्ता जी ! यह दुखद है कि आप खुद को डाक्टर कहलाने के बावजूद कह रहे हैं कि मेरे सभी सवालों के जवाब दे दिए गए हैं।
अगर मेरे सभी सवालों के जवाब दे दिए गए हैं तो आप बताएं कि ‘आज की नारी को किस प्राचीन भारतीय नारी का अनुकरण करना चाहिए और क्यों ?‘
भाई ! क्या आप ब्रह्मा जी द्वारा सृष्टि बनाने की बातें करना बंद करेंगे या फिर मैं उस पर सवाल पूछना शुरू करूं ?
ख़ैर , यह भी एक बड़े लतीफ़े की बात है कि जिसकी वजह से श्री रवीन्द्र प्रभात को जाना पड़ा, वह बदस्तूर यहां ब्रह्मा जी का प्रचार करने के लिए डटा हुआ है बल्कि ऑल   इंडिया ब्लागर्स एसोसिएशन में शामिल हो चुका है। इसके बावजूद बड़ी मासूमियत से जनाब यह भी पूछते हैं कि उनके जाने की वजह का खुलासा नहीं हुआ।
हाय, आपकी मासूमियत पे कौन न कुर्बान जाएगा गुप्ता जी।
हमें तो आप जैसे लोगों की मौजूदगी की सख्त ज़रूरत है।
आपका हम स्वागत करते हैं।
धन्यवाद !
इस कमेन्ट कि पूरी बैकग्राउंड आप यहाँ देख सकते हैं-
http://lucknowbloggersassociation.blogspot.com/2011/02/blog-post_09.html

Blogger ज़ाकिर अली ‘रजनीश’ said...
मेरे विचार में कोई किसी का अनुकरण नहीं करता, जिसमें जैसे जींस होते हैं और जैसा माहौल मिलता है, व्‍यक्ति वैसा बनता चला जाता है। --------- ब्‍लॉगवाणी: एक नई शुरूआत।
February 10, 2011 9:54 पम
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क्या आप जाकिर जी के कथन से सहमत हैं ?
मैं तो उनके कथन से सहमत नहीं हूँ.
आप अपनी बात बताएं.