Monday, February 14, 2011

क्यों न अब आप वुज़ू करना और नमाज़ पढ़ना भी सीख लीजिए क्योंकि चोटी रखकर यज्ञ हवन करना तो आपके बस का नहीं है और गणेश जी को दूध आप पिलाएंगे नहीं ?

@ प्रिय प्रवीण जी ! आपने ईश्वर को पुकारा ,
आपने ईश्वर से कुछ पूछा ।
इससे पता चला कि आपने ईश्वर को मानना तो शुरू कर ही दिया है ।
आप देखिए कि ईश्वर की पूजा औरतें ज़्यादा करती हैं । इसका मतलब यह है कि वे ईश्वर को केवल मर्दों का नहीं मानतीं बल्कि अपना भी मानती हैं ।
अब जब आपने ईश्वर को मान ही लिया है तो क्यों न वुज़ू करना और नमाज़ पढ़ना भी सीख लीजिए क्योंकि चोटी रखकर यज्ञ हवन करना आपके बस का नहीं है और गणेश जी को दूध आप पिलाएंगे नहीं ।
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देखिए 'सुनिए मेरी भी ' पर मेरा कमेँट ।@ प्रिय प्रवीण जी ! आपने ईश्वर को पुकारा ,
आपने ईश्वर से कुछ पूछा ।
इससे पता चला कि आपने ईश्वर को मानना तो शुरू कर ही दिया है ।
आप देखिए कि ईश्वर की पूजा औरतें ज़्यादा करती हैं । इसका मतलब यह है कि वे ईश्वर को केवल मर्दों का नहीं मानतीं बल्कि अपना भी मानती हैं ।
अब जब आपने ईश्वर को मान ही लिया है तो क्यों न अब आप वुज़ू करना और नमाज़ पढ़ना भी सीख लीजिए क्योंकि चोटी रखकर यज्ञ हवन करना तो आपके बस का नहीं है और गणेश जी को दूध आप पिलाएंगे नहीं ?
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देखिए 'सुनिए मेरी भी ' पर मेरा कमेँट ।
सुनिये मेरी भी....: तो ईश्वर; क्या आप केवल मर्दों के ही हो ?... दे ही दो आज जवाब !!!