Sunday, January 30, 2011

सारे बच्चों से माँ नहीं पलती , सारे बच्चों को पालती है माँ

एक किरदारे-बेकसी है माँ
ज़िन्दगी भर मगर हंसी है माँ

सारे बच्चों से माँ नहीं पलती
सारे बच्चों को पालती है माँ

@ वंदना गुप्ता जी ! आपका स्वागत है 'प्यारी माँ' के प्यारे साये तले ।
आपकी रचना दिल को गहराई तक छू गई । ऐसे ही सोई हुई संवेदनाएं जगाने की आज शदीद ज़रूरत है । आपकी कविता का ज़िक्र हमने अपने ब्लाग 'मन की दुनिया' पर भी किया था ।
बराय मेहरबानी आप उसे भी देखिएगा। वहाँ भी सरसों के फूल खिले हुए हैं ।
धन्यवाद !